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श्री कृष्‍ण शरणम् मम:

Sunday, July 8, 2007

श्रीनाथजी के मन्दिर में दर्शन

शीतकाल में

प्रात:कालीन समय
1. मंगला 5 बजे से 5-45 बजे तक 2. श्रृंगार 6-45 से 7-15 तक 3. ग्‍वाल 8-45 बजे से 9-15 तक 4. राजभोग 10-30 से 11-15 तक

सायंकालीन समय
5. उत्‍थापन 3-30 से 3-45 बजे तक 6. भोग 4-00 से 4-15 बजे तक 7. आरती 4-30 से 5-15 तक 8. शयन 6-45 बजे से 7-30 बजे तक

ग्रीष्‍मकाल में


प्रात:कालीन समय
1. मंगला 5-45 बजे से 6-30 बजे तक 2. श्रृंगार 7-00 से 7-30 जक 3. ग्‍वाल 9-00 बजे से 9-30 तक 4. राजभोग 11-00 से 11-45 तक

सायंकालीन समय
5. उत्‍थापन 3-45 से 4-00 बजे तक 6. भोग 4-15 बजे से 4-30 बजे तक 7. आरती 5-00 से 5-45 तक 8. शयन 7-00 बजे से 7-45 बजे तक

मंदिर में दर्शन पुष्टिमार्गीय मर्यादा एवं परम्परा से होते हैं, जो अन्य संप्रदाय के मंदिरों से थोडा भिन्न है, राग, भोग एवं श्रृंगार का विशेष महत्व है साथ ही श्रीमदवल्लभाचार्यजी द्वारा प्रतिपादित शुद्वाद्वेत पुष्टिमार्गीय मतानुसार सेवा पूजा का विधान है। इन वजह से दर्शनों के समय में परिवर्तन संभव है।


आपके सुझाव आमंत्रित हैं। shrinathjee@gmail.com


3 comments:

Nishank said...

Neeraj Ji,

Main kaafi dino se Sreenathji ke bare me internet par kuch dhoond raha tha. Halanki kafi kuch mila bhi parantu fir bhi kuch kami mahsus hui. Aapke dwara di huyi jankari khaskar darshno ke samay wagarah padhkar aisa laga mano main prabhu ke sameep hi baitha hun.

Kafi samay se SriNathdware nahi ja saka, idhar kai dino se man vichalit ho raha hai prabhu ke darshan karne ka. Jaldi hi aane ka programme bana raha hu prabhu ki haweli me.

-Nishank Agrawal
nishank.blogspot.com
http://www.webvastra.in

रावेंद्रकुमार रवि said...

श्रृंगार शब्द की वर्तनी सही नहीं है!

रावेंद्रकुमार रवि said...

Word Verification हटा दीजिए,
इससे टिप्पणीकारों को बहुत असुविधा होती है!